भारतीय नाट्य नृत्यांगना जापान मे।

स्त्री को प्रेम देना सच में सबसे बड़ा उपहार है, और स्त्री से प्रेम पाना अपने आप में सबसे बड़ा सम्मान। इस सूत्र में एक गहरी आध्यात्मिकता है, जिसे समझने के लिए स्त्री के वास्तविक स्वरूप, उसके गुणों और उसकी ऊर्जा के रहस्यों को समझना होगा।

स्त्री कोई साधारण भौतिक रूप मात्र नहीं है। वह सृजन की शक्ति है, जो पूरे ब्रह्मांड को अपने भीतर समेटे हुए है। वह माँ है, वह प्रेम है, वह शक्ति है, और वह करुणा का स्रोत है। यदि हम गहराई से देखें, तो स्त्री का अस्तित्व ही प्रेम का स्रोत है, जो सब कुछ अपने भीतर समेट लेता है। यह प्रेम वही है, जो किसी को उसकी संपूर्णता में स्वीकार करता है, उसे अपनाता है, और उसे संपूर्ण रूप से समझता है।

जब हम कहते हैं कि “स्त्री को प्रेम देना सबसे बड़ा उपहार है,” तो इसका अर्थ यह है कि प्रेम के माध्यम से हम उसके अस्तित्व का सम्मान करते हैं, उसकी आध्यात्मिकता को स्वीकारते हैं और उसकी ऊर्जा को पहचानते हैं। यह प्रेम केवल बाहरी प्रेम नहीं है, बल्कि उसकी आत्मा को पहचानने और उसके भीतर के अनंत को देखने का प्रयास है।

स्त्री का एक रहस्य उसकी संवेदनशीलता में छिपा है। वह अपने भीतर हर भाव को, हर भावना को सहजता से ग्रहण करती है। यह उसकी सहनशीलता का रहस्य है, उसकी असीमित शक्ति का आधार है। वह ऊर्जा के उस रूप में है, जो निर्माण और विनाश दोनों में समान रूप से सक्षम है। यही कारण है कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता”—जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है, वहीं ईश्वर का वास होता है।

स्त्री का प्रेम पाना इसलिए सबसे बड़ा सम्मान है क्योंकि वह अपने प्रेम में एक विशेष तरह की समर्पण और पूर्णता लाती है। जब एक स्त्री अपने प्रेम में संपूर्ण रूप से सम्मिलित होती है, तो वह अपने अस्तित्व का हर अंश उस प्रेम में समर्पित कर देती है। यह प्रेम जीवन को संतुलित करता है, उसे अर्थ देता है, और उसे एक आध्यात्मिक ऊँचाई प्रदान करता है।

इसलिए, यदि हमें स्त्री के रहस्य को समझना है तो हमें प्रेम, करुणा और समर्पण के उन पहलुओं को समझना होगा, जो उसे एक दिव्य और शक्तिशाली रूप में परिभाषित करते हैं। यही वह अद्भुत ऊर्जा है जो हमें जीवन में स्थिरता और संतुलन प्रदान करती है, और हमें वास्तविक प्रेम के अर्थ तक पहुँचने में सहायता करती है।

स्त्री के प्रति यह प्रेम, यह सम्मान, न केवल उसका सम्मान है, बल्कि यह हमारे भीतर की ऊर्जा को जाग्रत करने का साधन है।

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“प्रेम का सर्वोच्च रूप: स्त्री का सम्मान, जीवन का सम्मान।”
“स्त्री में छिपा है सृजन का रहस्य, प्रेम का सम्मान ही उसका सम्मान “।
” आध्यात्मिकता का मूल: स्त्री का प्रेम और सम्मान।”
“युवा पीढ़ी के लिए एक नई सोच: प्रेम और सम्मान का मार्ग।”
“योगी प्रियव्रत अनिमेष जी के साथ आध्यात्मिक चेतना का प्रसार।”

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Yogi Priyavrat Animesh के प्रवचन
आधुनिक युवाओं के लिए आध्यात्मिकता
स्त्री का महत्व और आध्यात्मिकता

Divine Feminine and Spiritual Wisdom
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Spiritual Awakening for Youth
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“Yogi Priyavrat Animesh द्वारा स्त्री पर आध्यात्मिक विचार”
“Spiritual significance of feminine respect by Yogi Priyavrat Animesh”
“Women empowerment and spirituality Yogi Animesh”

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