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फाउंडेशन के संस्थापक और युवा पीढ़ी के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक, वर्तमान में दुबई की यात्रा पर हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व पर्यावरण और जल मंत्री, महामहिम डॉ. मोहम्मद सईद अल किंदी के साथ जलवायु परिवर्तन और जल सुरक्षा पर गहन विचार-विमर्श करना है।इस सहयोगात्मक चर्चा का केंद्र बिंदु COP28 सम्मेलन के बाद जल प्रबंधन और जलवायु संकट के प्रति तैयारी से जुड़ा है। पहली बार COP28 में पानी को एक मुख्य विषय के रूप में मान्यता दी गई थी, और यह चर्चा जल सुरक्षा के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।योगी प्रियव्रत अनिमेष और महामहिम डॉ. मोहम्मद सईद अल किंदी के बीच इस वार्ता में पानी के स्रोतों के डेटा संग्रह को बढ़ावा देने, कमजोर समुदायों में जल सेवाओं की प्राथमिकता, और भविष्य में महामारियों तथा जलवायु संकटों से निपटने के लिए साझेदारी स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।यह बातचीत वैश्विक जल संकट और पर्यावरणीय असंतुलन को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता सीमित है।

योगी प्रियव्रत अनिमेष की इस यात्रा से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक जागरूकता और सहयोग को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।विश्व भर में पानी की कमी, बाढ़, सूखा, और जल संघर्षों के कारण कई महत्वपूर्ण और विनाशकारी घटनाएं घटी हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण दिए जा रहे हैं

:1. मध्य पूर्व का जल संकट (मेसोपोटामिया का सूखा):2006-2010 के बीच, मध्य पूर्व में गंभीर सूखा पड़ा, खासकर सीरिया में। इस सूखे ने कृषि अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया, ग्रामीण इलाकों से लोग शहरों में जाने लगे, और इससे सामाजिक अस्थिरता बढ़ी। माना जाता है कि इस सूखे और जल की कमी ने सीरिया में गृहयुद्ध के कारणों में योगदान दिया।

2. कैलिफ़ोर्निया का सूखा (2011-2017):कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका में जल संकट के दौरान पानी की कमी से कृषि, वनस्पतियों और वन्य जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इसके चलते राज्य में कई क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बाधित हो गई और जल संरक्षण के कठोर नियम लागू किए गए

।3. दक्षिण अफ्रीका का “डे ज़ीरो” (2018):2018 में, केप टाउन शहर “डे ज़ीरो” के कगार पर था, जब शहर की जल आपूर्ति लगभग खत्म हो गई थी। यह दिन वह होता जब शहर के जल भंडार समाप्त हो जाते और सरकार को पानी की आपूर्ति बंद करनी पड़ती। सख्त जल संरक्षण उपायों के चलते “डे ज़ीरो” को टाला गया, लेकिन यह घटना जल संकट की गंभीरता को उजागर करती है

।4. गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के बाढ़ (बांग्लादेश और भारत):गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी में बार-बार आने वाली बाढ़ ने भारत और बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विनाश किया है। 1970 में, बांग्लादेश में आई बाढ़ ने 500,000 से अधिक लोगों की जान ली थी। इन बाढ़ों ने कृषि और लोगों की आजीविका को प्रभावित किया है।

5. अरल सागर का सूखना (मध्य एशिया):सोवियत संघ के तहत सिंचाई परियोजनाओं के कारण अरल सागर (जो पहले दुनिया की चौथी सबसे बड़ी झील थी) लगभग पूरी तरह सूख गया। इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों की आजीविका पर असर पड़ा, और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ गया। यह जल प्रबंधन की गलतियों का एक गंभीर उदाहरण है।

6. फ्लिंट, मिशिगन का जल संकट (2014-2016):फ्लिंट शहर में जल आपूर्ति बदलने के कारण शहर के पीने के पानी में लेड (सीसा) की भारी मात्रा पाई गई। इसके कारण लोगों को जहरीला पानी पीना पड़ा, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हुईं। इस जल संकट ने अमेरिका में जल आपूर्ति प्रणाली की खामियों को उजागर किया।

7. भारत में लातूर का सूखा (2016):महाराष्ट्र के लातूर में 2016 में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए। पानी की कमी के कारण ट्रेनों द्वारा पानी की आपूर्ति की गई। इस सूखे ने कृषि और ग्रामीण जीवन को गहराई से प्रभावित किया।यह घटनाएँ जल संसाधनों के प्रबंधन में असफलताओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को दिखाती हैं, जो आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकते हैं।”जलवायु संकट के समाधान के लिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सहयोग:

योगी प्रियव्रत अनिमेष दुबई में”

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