आप मेरी भी बातों में मत आओ। अब मेरी भी बहकावे में मत आओ। जब कोई व्यक्ति मुसीबत में होता है और उसको कोई रास्ता दिखा दे। उसकी कोई मदद कर दे तो वह उसको समर्पण कर देता है। लेकिन वह समर्पण के पीछे भी एक भाव होता है कि इसने मेरी मदद की है इसलिए ना कि सत्य के लिए क्योंकि हम किसी की तरफ झुके हैं इसलिए कि उसने हमारे लिए कुछ किया है जबकि वह सिर्फ एक प्रक्रिया है। पूर्ण सत्य नहीं है। इसलिए जब आप किसी का ज्ञान प्राप्त करो जब किसी गुरु के प्रभाव में आओ तो आप उसको यह मत लीजिए कि वह बहुत ज्ञानी है या यह इस चीज से यह आपके जीवन पर प्रभाव डालेगा। यह सिर्फ यह मानिए कि जिसमें आप व्यवस्था प्रॉब्लम या अज्ञानता अभाव के वश में होते हैं, तब यह सब आपके ऊपर प्रभाव डालेंगे। लेकिन जब आप अभाव से और ज्ञान से। या किसी व प्रॉब्लम से मुसीबत से निकल जाएंगे तब आपको वही व्यक्ति एक कॉमन साधारण लगेगा। आप उसमें ना गुरु देखोगे ना कुछ अन्य संबंध देखोगे। आप कुछ भी बोलोगे कि अरे यह तो कुछ नहीं था। मैंने वैसे ही इसको अपने जीवन में अपना लिया तो स्थिति और सत्य में फर्क क्या है वह जानिए सत्य सत्य है। वह ना स्थिति है ना वस्तु है। मैं पदार्थ है ना तू है ना मैं हूं ना अच्छा है ना बुरा है न दिन है, रात है ना संकल्प संकल्प है। वह परम सत्य है, पूर्ण सत्य हैं।
योगी प्रियव्रत अनिमेष
बाबा केदारनाथ यात्रा
21 से 23 अक्टूबर 2022