समर्पण

समर्पण

आप मेरी भी बातों में मत आओ। अब मेरी भी बहकावे में मत आओ। जब कोई व्यक्ति मुसीबत में होता है और उसको कोई रास्ता दिखा दे। उसकी कोई मदद कर दे तो वह उसको समर्पण कर देता है। लेकिन वह समर्पण के पीछे भी एक भाव होता है कि इसने मेरी मदद की है इसलिए ना कि सत्य के लिए क्योंकि हम...
निषिद्ध कर्म

निषिद्ध कर्म

निषिद्ध कर्म, उसका स्वरूप भी जानना चाहिए, क्योंकि कर्म की गति गहन है। गहन मतलब, सूक्ष्म, बारीक। पता नहीं चलता, रहस्यपूर्ण है। कब कर्म कर्म होता, कब अकर्म होता, यह तो है ही कठिनाई। कर्म कभी-कभी निषिद्ध कर्म भी होता है, तब और कठिनाई है। निषिद्ध कर्म के संबंध में थोड़ी...
विचारों के केन्द्र बिंदु – ‘ क्यों एवं कैसे ‘

विचारों के केन्द्र बिंदु – ‘ क्यों एवं कैसे ‘

जीवन एक विकट समस्या है इसमें न जाने कितने उतार – चढ़ाव आते हैं और स्मृति में विलीन हो जाते हैं । इनमें से कुछ ही विचार थोड़े समय के लिए हमारी स्मृति में रह पाते हैं पर उन पर भी हम सरसरी नजर भर डाल लेते हैं , गहराई से नहीं सोच पाते अन्यथा जीवन सबसे अधिक अध्ययन का...
प्रार्थना या मांग

प्रार्थना या मांग

बिना मांगे, बिना मांगे यज्ञ की भांति जो जीवन को जीता, यज्ञरूपी कर्म में जो प्रविष्ट होता, दिव्य शक्तियां उसे बिना मांगे सब दे जाती हैं। लेकिन हमें अपने पर भरोसा ज्यादा, जरूरत से ज्यादा, खतरनाक भरोसा है। या तो हम कोशिश करते हैं, पा लें, तब हमारा कर्म यज्ञरूपी नहीं हो...
What is the purpose of our existence?

What is the purpose of our existence?

What is the purpose of our existence when in the end we all turn to the same dust we came from? Ooj foundation begs to differ in these times of turmoil when you start questioning life. They come with the purpose of making a difference through the concept of...