“दया का आचरण ही सच्चे सुख और शांति का मार्ग है – Yogi Priyavrat Animesh”

दया का दिव्य गुण पूज्य “Yogi Priyavrat Animesh” जी के आशीष वचनपूज्य। Yogi Priyavrat Animesh जी ने कहा कि देवी माँ ललिता राजराजेश्वरी की अनुकंपा से साधक अपनी आत्मिक शक्ति एवं अविनाशी सत्ता का अनुभव करता है। विशेषतः “अहोई अष्टमी” के पावन दिन...

“आत्मबोध से दिव्यता की ओर: ऊर्जा, चेतना और शाश्वत सत्य का सेतु।” योगी प्रियव्रत अनिमेष

प्रिय आत्मीय साधक,सीता का जो गूढ़ अर्थ है, वह किसी मात्र लौकिक स्त्री के रूप में समझने की सीमा से परे है। सीता, इस चराचर जगत की मूल प्रकृति की प्रतीक हैं, और उनका अवतरण भूमि तत्त्व से होना कोई साधारण घटना नहीं है, यह आत्मबोध का सूक्ष्मतम स्वरूप है, जिसे केवल उर्ध्व...

“योगी प्रियव्रत अनिमेष के सान्निध्य में, धर्म की एकता में ही सत्य की अनुभूति है।”

“योगी जी कहते हैं कि यह जान लो कि एक ही परब्रह्म है – वो परम सत्य, वो ब्रह्म जो नाम और रूप से परे है। कोई आकार नहीं, कोई प्रतीक नहीं। वो है और नहीं भी है। वो हर जगह है और कहीं भी नहीं। यह समझना कठिन हो सकता है, पर इसी में सब कुछ छिपा है। एक परम सत्य जो हर जीव...

प्रज्ञा का जागरण, जीवन का शुद्धतम स्वरूप – योगी प्रियव्रत अनिमेष

यह प्रवचन योगी प्रियव्रत अनिमेष द्वारा प्रस्तुत है, जिसमें हम आध्यात्मिक योग क्रिया और जीवन की ऊर्जा के गहनतम रूप—प्रज्ञा—की महिमा का अनुभव करेंगे। यह प्रवचन आपको यह समझने में मदद करेगा कि कैसे योग के माध्यम से हम अपनी आंतरिक ऊर्जा को शुद्ध कर प्रज्ञा का विकास कर सकते...

विचारों का जीवन पर प्रभाव – योगी प्रियव्रत अनिमेष

आज हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे—विचारों का हमारे जीवन पर प्रभाव। यह समझना आवश्यक है कि हमारे विचार न केवल हमारे आचरण को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे पूरे जीवन को आकार देते हैं। विचार ही चरित्र और जीवन का निर्माण करते हैं, और जिस प्रकार हम सोचते हैं,...

सत्य की राह पर, धर्म का प्रचार।” योगी प्रियव्रत अनिमेष

आज हमारे सामने एक ऐसा समय आ खड़ा हुआ है, जब मनुष्य का मन कुरीतियों और बुराइयों का दास बन चुका है। मानसिक और सामाजिक बुराइयाँ, जिनकी जड़ें हमारे समाज में गहरी होती जा रही हैं, हमें चुनौती दे रही हैं। मैं आपसे आह्वान करता हूँ कि हम सब मिलकर इस अंधकारमय स्थिति के खिलाफ...